A SIMPLE KEY FOR गणपति आरती UNVEILED

A Simple Key For गणपति आरती Unveiled

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।। श्री हनुमान चालीसा ।। ।। दोहा ।। श्रीगुरु चरन सरोज रज, निज मनु मुकुरु सुधारि। बरनऊं रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि।। बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार। बल बुद्धि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार।। ।। चौपाई ।। जय हनुमान ज्ञान गुन सागर। जय कपीस तिहुं लोक उजागर।। रामदूत अतुलित बल धामा। अंजनि-पुत्र...

Diseases will likely be ended, all pains will likely be long gone, any time a devotee continually repeats Hanuman the brave’s identify.

ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका। स्वामी जानत अविवेका।

व्याख्या – श्री हनुमान जी महाराज ने श्री विभीषण जी को शरणागत होने का मन्त्र दिया था, जिसके फलस्वरूप वे लंका के राजा हो गये।

 “आपने अपना बहुत छोटा रूप धारण करके सीता जी को दिखलाया और भयंकर रूप करके लंका को जलाया।”

सियराम–सरूपु अगाध अनूप बिलोचन–मीननको जलु है।

अर्थ- तपस्वी राजा श्री रामचन्द्र जी सबसे श्रेष्ठ है, उनके सब कार्यों को आपने सहज में कर दिया।

कहत शिवानन्द स्वामी मनवांछित फल पावे ॥ ॐ जय शिव...॥

त्रिगुण रूपनिरखता त्रिभुवन जन मोहे ॥ ॐ जय शिव…॥

काशी में विश्वनाथ विराजत नन्दी ब्रह्मचारी।

चंदन मृगमद हनुमान आरती सोहै भाले शशिधारी ॥ ॐ जय शिव...॥

समझनी है जिंदगी तो पीछे देखो, जीनी है जिंदगी तो आगे देखो…।

अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहं – श्लोक अर्थ सहित

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